इस्लामाबाद । पाकिस्तान के संघीय कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने स्वीकार किया हैं, कि भारत को एक संधि के तहत रावी नदी के पानी पर पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह संधि पाकिस्तान को कानूनी रूप से बाध्य करती है, कि वह पड़ोसी देश की जल आक्रामकता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में न जाए। पाकिस्तान के मंत्री तरार ने नेशनल असेंबली (पाकिस्तानी संसद) में भारत के कार्यों पर चर्चा के लिए प्रस्तुत एक ध्यानाकर्षण नोटिस की कार्यवाही के दौरान कहा, पाकिस्तान और भारत के बीच एक जल संधि है। रावी नदी पर पानी का अधिकार भारत का है, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ आईसीजे का सहारा नहीं लिया जा सकता। दोनों देशों के बीच 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत भारत रावी, सतलज और ब्यास नदियों के पानी पर दावा करता है। संसद के निचले सदन में नोटिस पेश करने वाले पीटीआई एमएनए जरताज गुल ने तरार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि बुधवार को कानून मंत्री ने रावी नदी पर भारत का अधिकार स्वीकार कर लिया है, जो खेदजनक है। गुल को जवाब देकर कानून मंत्री ने कहा कि कानूनी मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
कानून मंत्री ने कहा, इस (सिंधु जल संधि) पर दोनों देशों ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे, हालांकि, भारत इससे बाहर निकलना चाहता है, लेकिन आईसीजे ने भारत को बाहर निकलने से रोक दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान किशनगंगा पनबिजली परियोजना के मुद्दे पर सफल हुआ। भारत ने शाहपुर कंडी बैराज के पूरा होने के साथ रावी नदी से पाकिस्तान की ओर पानी का प्रवाह रोक दिया है। शाहपुर कंडी बैराज पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर स्थित है। रिपोर्ट के अनुसार, रावी से जम्मू और कश्मीर को अब 1,150 क्यूसेक पानी मिलेगा जो पहले पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। इस पानी का उपयोग कठुआ और सांबा जिलों में 32,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए किया जाएगा। सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण शाहपुर कंडी बैराज परियोजना को पिछले तीन दशकों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, अब यह पूरा होने वाला है।